ज्योतिष शास्त्र में, ग्रहों को उनके प्रभाव के आधार पर तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है - कारक ग्रह, अकारक ग्रह और मारक ग्रह। यहां हम समझेंगे कि कारक ग्रह किसे कहते हैं और इन तीनों प्रकारों के बीच का अंतर।
कारक ग्रह किसे कहते हैं? कारक ग्रह वे ग्रह होते हैं जो किसी व्यक्ति की कुंडली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और उनकी जीवन की विभिन्न घटनाओं को प्रभावित करते हैं। ये ग्रह व्यक्ति के जीवन के लिए शुभ परिणाम लाते हैं और उनकी इच्छाओं को पूरा करने में मदद करते हैं। कारक ग्रह सौभाग्य, धन, संतान, शिक्षा, करियर आदि जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को संचालित करते हैं।
अकारक ग्रह अकारक ग्रह वे होते हैं जो न तो शुभ होते हैं और न ही अशुभ। ये ग्रह व्यक्ति के जीवन में न्यूटलिटी लाते हैं और उनके प्रभाव को कम करते हैं। हालांकि, अकारक ग्रहों के उपयुक्त योग और गोचर स्थितियों में, वे शुभ परिणाम दे सकते हैं।
मारक ग्रह जैसा कि नाम से पता चलता है, मारक ग्रह व्यक्ति के जीवन में विघ्न डालते हैं और कष्ट पहुंचाते हैं। ये ग्रह नकारात्मक शक्तियों को प्रतिनिधित्व करते हैं और व्यक्ति के लिए बाधाएं और चुनौतियां पैदा करते हैं। हालांकि, मारक ग्रहों के शुभ योग और गोचर स्थितियों में, उनके प्रभाव को कम किया जा सकता है।
कुंडली विश्लेषण में, ये तीनों प्रकार के ग्रह महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। एक सिद्धांत यह है कि कुंडली का संतुलन बनाए रखना महत्वपूर्ण है, जिससे कारक ग्रहों के शुभ प्रभाव को अधिकतम करने और अकारक व मारक ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को न्यूनतम करने में मदद मिलती है।
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