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श्री बगलामुखी स्तोत्र-अर्थ एवं महत्व

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श्री बगलामुखी स्तोत्र हिंदी में: दिव्य शक्तियों से संपन्न होने का मार्ग

सनातन हिंदू धर्म में मंत्रों और स्तोत्रों का विशेष महत्व है। इन्हीं में से एक है 'श्री बगलामुखी स्तोत्र'। यह स्तोत्र देवी बगलामुखी की वंदना करता है, जो मां दुर्गा की नौ शक्तियों में से एक हैं। बगलामुखी शब्द का अर्थ है 'बगली की तरह मुँह वाली'।

इस स्तोत्र में बगलामुखी की विभिन्न शक्तियों और रूपों को वर्णित किया गया है। कहा जाता है कि इस स्तोत्र के पाठ से साधक को सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं और उसके अंदर दिव्य शक्तियाँ जागृत होती हैं। साथ ही उसकी बुद्धि तेज होती है और वह संसार के मोह-माया से मुक्त हो जाता है।

बगलामुखी स्तोत्र कुल 34 श्लोकों में विभाजित है। इसके प्रारंभिक श्लोकों में देवी की स्तुति की गई है और उनके विभिन्न रूपों एवं गुणों का वर्णन किया गया है। कुछ श्लोक मन्त्रात्मक हैं जिनका जाप किया जाता है। अंतिम श्लोकों में साधक बगलामुखी से विभिन्न वरदान माँगता है।

कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस स्तोत्र का निष्ठापूर्वक पाठ करता है, उसे सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, यह स्तोत्र विशेषकर शनिवार के दिन पढ़ने से लाभ मिलता है। इससे व्यक्ति के आंतरिक और बाह्य बाधाएँ दूर होती हैं और उसकी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं।

आध्यात्मिक गुरुओं का कहना है कि बगलामुखी स्तोत्र का पाठ सिर्फ मंदिरों में ही नहीं बल्कि घर पर भी किया जा सकता है। इसके लिए आवश्यक है कि व्यक्ति पूर्ण विश्वास और श्रद्धा के साथ इसका पाठ करे। साथ ही उचित विधि-विधान का पालन करे जैसे स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करना, धूप-दीप जलाना आदि।

इस प्रकार बगलामुखी स्तोत्र हिंदी में एक शक्तिशाली साधना है जिससे साधक को न केवल भौतिक वरदान प्राप्त होते हैं बल्कि वह आध्यात्मिक उन्नति भी कर सकता है। इसलिए हिंदू धर्म में इसे बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। Read More

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