मानव जीवन का परम लक्ष्य ईश्वर प्राप्ति या आत्मसाक्षात्कार है। हालांकि यह एक दुर्लभ और कठिन प्रक्रिया है, लेकिन ज्योतिष शास्त्र हमें कुछ ऐसे योग बताता है जो इस दिव्य लक्ष्य की प्राप्ति में सहायक होते हैं। ये योग व्यक्ति की जन्मकुंडली में विद्यमान होते हैं और आध्यात्मिक यात्रा के लिए प्रेरणा देते हैं।
ब्रह्म योग: यह योग तब बनता है जब शुक्र और बुध एक ही राशि में स्थित हों। इससे व्यक्ति में ज्ञान और विवेक की प्रबल भावना जागृत होती है, जो आध्यात्मिक साधना के लिए अनुकूल होती है।
ईश्वर योग: यह योग तब बनता है जब सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में स्थित हों। इससे व्यक्ति में दिव्य प्रकाश के प्रति आकर्षण बढ़ता है और वह आध्यात्मिक अनुभूतियों के लिए तरसता है।
योगी योग: यह योग तब बनता है जब शुक्र और बुध एक दूसरे के साथ योग बनाते हैं और साथ ही वे किसी भी ग्रह के साथ युति में न हों। इससे व्यक्ति में संयम और एकाग्रता आती है, जो साधना के लिए महत्वपूर्ण होती है।
विश्वादित्य योग: यह योग तब बनता है जब सूर्य और चंद्रमा एक दूसरे के साथ योग बनाते हैं। इससे व्यक्ति में ब्रह्मज्ञान की खोज की इच्छा जागृत होती है और वह परमात्मा को जानने के लिए प्रेरित होता है।
ये योग व्यक्ति को आध्यात्मिक यात्रा के लिए पे्ररित करते हैं और साधना से परमात्मा की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करते हैं। हालांकि, इन योगों की उपस्थिति के बावजूद, व्यक्ति को अपनी इच्छाशक्ति और प्रयास से ही अंतिम लक्ष्य की प्राप्ति संभव है।
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